भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (Emergency) 25 जून 1975 को घोषित किया गया था, न कि 1974 में।
प्रस्तावना- इंदिरा गाँधी जिन वादों पर pm बनी थी वो इस चीज पर नहीं उतर पा रही थी। देश मे ग़रीबी बढ़ती जा रही थी। करप्शन, मेहँगाई अपने चरम पर थी।कई राज्यों मे सूखा पड़ गया था।
उनमे से 1 राज्य गुजरात था ऐसे हालातो मे प्रजा का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा था और ये गुस्सा फूटा 20 नवंबर 1973 को ज़ब LD इंजीनियरिंग कॉलेज अहमदाबाद के स्टूडेंट प्रोटेस्ट सुरु कर दिया।18 मार्च 1974 को स्टूडेंट ने बिहार मे प्रोटेस्ट किया और सरकार का घेराव किया जिसमे पुलिस एक्शन मे 3 स्टूडेंट मारे गए जब इसकी खबर जनता मे पहुंची तोह लोगो का गुस्सा फुट पड़ा।तब 23 मार्च 1974 को बिहार बंद का ऐलान किया गया। सरकार ने प्रोटेस्ट पर काबू पाने के लिए बहुत सारे स्टूडेंट को गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद स्टूडेंट ने जय प्रकाश नारायण को बुलावा भेजा।
सारांश
यह इमरजेंसी भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आंतरिक संकट के आधार पर लागू की गई थी और 21 महीनों तक (मार्च 1977 तक) चली। इस दौरान नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया गया, विपक्षी नेताओं को जेल में डाला गया, सेंसरशिप लगाई गई और सरकार को असाधारण शक्तियाँ मिल गईं।(The Emergency was implemented on the basis of internal crisis by the then Prime Minister of India, Indira Gandhi and lasted for 21 months (till March 1977). During this time civil rights were banned, opposition leaders were imprisoned, censorship was imposed and the government got extraordinary powers.)
अगर आप 1974 से जुड़ी कोई खास घटना पूछना चाहते हैं, तो कृपया थोड़ा स्पष्ट करें – जैसे: “जेपी आंदोलन” या “बिहार आंदोलन”, जो इमरजेंसी की पृष्ठभूमि बना।
1974 में जो सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना हुई, वह था जेपी आंदोलन या बिहार आंदोलन, जिसे संपूर्ण क्रांति आंदोलन भी कहा जाता है। यह आंदोलन बाद में 1975 की इमरजेंसी का एक बड़ा कारण बना। आइए संक्षेप में समझते हैं:
जेपी आंदोलन (बिहार आंदोलन) – 1974
नेता: इस आंदोलन का नेतृत्व जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने किया, जो एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक थे।
स्थान: मुख्य रूप से बिहार से शुरू हुआ, फिर पूरे देश में फैल गया।
कारण: भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आक्रोश।
महंगाई, बेरोजगारी और सरकारी दमन।
शिक्षा प्रणाली में बदलाव की मांग।
मुख्य घटनाएं:
छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिसे जेपी ने समर्थन दिया।Student organizations started protests, which JP supported.
जेपी ने “संपूर्ण क्रांति” (Total Revolution) की बात की – जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और नैतिक बदलाव शामिल थे।
उन्होंने इंदिरा गांधी से इस्तीफे की माँग की।
सरकार की प्रतिक्रिया:
सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया।इससे देश भर में असंतोष फैला और स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि 25 जून 1975 को इमरजेंसी घोषित कर दी गई।(The government used force to crush the movement. This caused dissatisfaction across the country and the situation became so serious that 25 June 1975 was declared Emergency. )
नसबंदी(Sterilization)
नसबंदी कार्यक्रम भारत में 1975-77 के आपातकाल (Emergency) के दौरान लागू किया गया था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने चलाया था। इस कार्यक्रम को लागू कराने में इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी की अहम भूमिका मानी जाती है।
संजय गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान को बढ़ावा दिया था। हालांकि यह अभियान काफी विवादास्पद रहा, क्योंकि इसमें कई बार जबरदस्ती और बिना सहमति के नसबंदी करवाई गई, जिससे जनता में काफी आक्रोश फैल गया और इसका असर 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी की हार के रूप में देखने को मिला।
संजय गांधी की भूमिका
संजय गांधी, इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र थे और आपातकाल (1975-1977) के दौरान वे राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली हो गए थे, भले ही उनके पास कोई आधिकारिक पद न हो।
उन्होंने पांच सूत्रीय कार्यक्रम (Five Point Programme) की शुरुआत की थी, जिसमें एक अहम बिंदु जनसंख्या नियंत्रण था।
इसी जनसंख्या नियंत्रण के तहत नसबंदी अभियान (Sterilization Drive) को देशभर में तेज़ी से लागू किया गया।(Under this population control, Sterilization Drive was implemented rapidly across the country. )
नसबंदी(Sterilization) अभियान के मुख्य बिंदु
1. लक्ष्य आधारित अभियान: सरकार ने प्रत्येक ज़िले को नसबंदी का लक्ष्य दिया, जिसे स्थानीय अधिकारियों को पूरा करना होता था।
2. जबरदस्ती नसबंदी: कई मामलों में पुरुषों को जबरन नसबंदी के लिए ले जाया गया। पुलिस और प्रशासन ने गाँवों में छापे मारकर लोगों को पकड़ कर ले जाना शुरू किया।
3. प्रलोभन और दबाव: कुछ जगहों पर नसबंदी के बदले में पैसे, रेडियो, या अन्य सुविधाएं देने का वादा किया गया। स्कूलों में दाखिला, राशन कार्ड, या नौकरी देने के लिए नसबंदी का प्रमाणपत्र माँगा गया।
4. टारगेट पुरुषों पर: खासकर पुरुषों की नसबंदी (vasectomy) पर ज़ोर दिया गया क्योंकि यह प्रक्रिया आसान और जल्दी पूरी होने वाली थी।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
जनता में आक्रोश: इस अभियान की जबरदस्ती और अमानवीयता ने जनता में गहरा आक्रोश पैदा किया।
राजनीतिक नुकसान: 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी की भारी हार हुई। जनता पार्टी ने इस मुद्दे को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था।
संजय गांधी की छवि: संजय गांधी की छवि एक सख्त और तानाशाही नेता के रूप में उभरी। हालांकि कुछ लोगों ने उनके कार्यक्रमों को “कठोर लेकिन ज़रूरी” भी बताया।
दूरगामी प्रभाव: नसबंदी के खिलाफ डर और अविश्वास आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में बना हुआ है, जिससे परिवार नियोजन कार्यक्रमों को नुकसान पहुँचा।
नसबंदी अभियान के दौरान क्या हुआ
1976 में नसबंदी की संख्या लगभग 60 लाख तक पहुँच गई, जो अब तक की सबसे अधिक थी।
सबसे ज्यादा फोकस पुरुषों की नसबंदी (vasectomy) पर किया गया, जबकि पहले महिलाएं अधिक संख्या में नसबंदी करवाती थीं।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में यह अभियान सबसे आक्रामक तरीके से चलाया गया।
प्रभाव और आलोचना
1. जनता में भय और असंतोष-लोगों के बीच डर फैल गया कि उन्हें जबरन नसबंदी के लिए ले जाया जाएगा।
बहुत से पुरुष गाँव छोड़कर भागने लगे या खुद को छुपाने लगे।
2. राजनीतिक प्रतिक्रिया:
1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा।
जनता पार्टी की सरकार बनी और नसबंदी को लेकर व्यापक आलोचना हुई।
3. संजय गांधी की छवि:संजय गांधी की छवि एक तानाशाही सोच वाले युवा नेता के रूप में बनी।
हालांकि उन्होंने अपने विचारों को देशहित से जोड़कर पेश किया, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली ने जनता को नाराज़ कर दिया।
नसबंदी अभियान का दीर्घकालीन प्रभाव
भारत में जनसंख्या नियंत्रण के कार्यक्रमों को लेकर जनता में अविश्वास बढ़ गया।
“नसबंदी” शब्द एक नकारात्मक छवि बन गया, जो आज भी कई जगहों पर राजनीति और जनसंख्या नीति में चर्चा का विषय है।(The word “sterilization” became a negative image, which is still a matter of discussion in politics and population policy in many places.)