बनारस के प्रसिद्ध चीजों के बारे में (घाट, गंगा आरती, वाराणसी पान और बनारसी साड़ी)About the famous things of Banaras
बनारस की गंगा आरती
बनारस की गंगा आरती एक प्रसिद्ध चीजों में बनारस की गंगा आरती भी आती है बनारस में गंगा आरती सन 1991 से लगातार हो रहा है बनारस में गंगा नदी के किनारे कुल 84 घाट हैं जिसमें से 10 घाटों पर नियमित रूप से हर रोज गंगा आरती होती है
और इन आरतियों को नियमित रूप से आयोजित करने के लिए 12 समितियां है जो इन आरतियों के कार्यक्रम को हर रोज संपन्न कराती है
बनारस में कुछ प्रसिद्ध घाट है जहां हर रोज नियमित रूप से गंगा आरती होता
दशाश्वमेध घाट Dashashwamedh Ghat
यह एक बहुत ही प्रसिद्ध घाट है बनारस का यहां पर हर दिन गंगा आरती की जाती है हर मौसम के अनुसार सूर्यास्त के बाद गंगा आरती यहां होती है
अस्सी घाट
अस्सी घाट भी बनारस का एक बहुत ही लोकप्रिय घाट है जहां गंगा आरती नियमित रूप से हर रोज होती है बनारस के अस्सी घाट पर सुबह-शाम दोनों समय पर आरती होती है
सुबह सूर्योदय के के समय पर गंगा आरती होती है
शाम को सूर्यास्त के बाद गंगा आरती होती है
गंगा आरती का पूर्ण समय 1 घंटे का होता है अस्सी घाट पर 7 पंडित एक साथ मिलकर गंगा आरती करते हैं
अगर आपको अस्सी घाट पर VIP गंगा आरती का लाभ लेना है तो इस नंबर पर संपर्क करें मो नं० 9651049488
बनारस कुछ और घाट और भी है जहां नियमित रूप से गंगा आरती होती है हर रोज
तुलसी घाट
केदार घाट
अहिल्याबाई घाट
ललिता घाट
रविदास घाट
बनारस की साड़ी
बनारस (वाराणसी) की साड़ियों की खासियत उन्हें भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में मशहूर बनाती है। इन्हें “बनारसी साड़ी” कहा जाता है, और ये पारंपरिक भारतीय परिधान की शान मानी जाती हैं, खासकर शादी और त्यौहारों में
नीता अंबानी ने अपने बेटे अनंत की शादी के लिए बनारस से लक्खा बूटी साड़ियाँ खरीदी हैं, जिनकी कीमत 2 लाख से लेकर 6 लाख रुपये तक होती है
बनारसी साड़ी की खास बातें:
1. जरी और ब्रोकेड का बारीक काम
बनारसी साड़ियों में चांदी या सोने जैसे दिखने वाले धागों से जरी का काम किया जाता है। ये ब्रोकेड वर्क बहुत ही बारीक और खूबसूरत होता है जो साड़ी को शाही लुक देता है।
2. मुगलकालीन डिज़ाइन
इन साड़ियों के डिज़ाइन में मुगल कला की झलक दिखती है — जटिल बेल-बूटे फूलों के पैटर्न मीनाकारी और जालदार डिज़ाइन आम हैं।
3. शुद्ध रेशम (कतान सिल्क)
बनारसी साड़ियाँ आमतौर पर शुद्ध कतान रेशम से बनाई जाती हैं, जो उन्हें मुलायम, टिकाऊ और शानदार बनाता है।
4. हाथ की बुनाई
असली बनारसी साड़ी को बुनने में 15 दिन से 6 महीने तक लग सकते हैं, क्योंकि ये हाथ से बुनी जाती हैं। इसमें कई कारीगर मिलकर काम करते हैं।
5. चार प्रमुख प्रकार
बनारसी साड़ियाँ चार प्रमुख प्रकारों में आती हैं:
- कतान साड़ी शुद्ध सिल्क की बनी
- ऑर्गेंज़ा हल्की और पारदर्शी
- गिच्छा/तसर साड़ी खुरदरे रेशम से बनी
- शत्तिर साड़ी रोज़ पहनने के लिए
6. शादी-ब्याह की पहली पसंद
उत्तर भारत में खासकर बनारस और आस-पास के इलाकों में, दुल्हन की पहली पसंद बनारसी साड़ी होती है। लाल रंग की जरीदार बनारसी साड़ी को शुभ और पारंपरिक माना जाता है।
बनारस की चाय
बनारस की चाय भी बहुत ही प्रसिद्ध मानी जाती है और इसमें एक बहुत ही अच्छा स्वाद होता है और बनारस उसके ही एक चाय की दुकान पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद चाय की चुस्की ली थी बनारस में अस्सी में है चाय की दुकान पप्पू चाय के नाम से है
बनारसी पंडित
बनारसी पंडित पूरे देश में अपनी विद्वता, वाणी की मधुरता और धार्मिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हैं। वाराणसी (बनारस) को “धर्म और ज्ञान की नगरी” कहा जाता है, और यहां के पंडितों की एक अलग ही पहचान है।
बनारसी पंडितों की प्रसिद्धि के कारण:
1. गहरी धार्मिक और वैदिक विद्या
बनारसी पंडित वेद, पुराण, उपनिषद, ज्योतिष और संस्कृत शास्त्रों में निपुण होते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन, और अन्य तीर्थों पर इनका विशेष योगदान रहता है।
2. शुद्ध उच्चारण और मंत्रोच्चार
यहां के पंडित मंत्रों का उच्चारण अत्यंत शुद्ध और प्रभावशाली तरीके से करते हैं, जिससे पूजा-पाठ में एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
3. सदियों पुरानी गुरुकुल परंपरा
काशी में अनेक परंपरागत गुरुकुल और विद्या सस्थान हैं, जहाँ पीढ़ियों से ज्ञान की परंपरा चल रही है। बनारसी पंडित इस परंपरा के वाहक माने जाते हैं।
4. संस्कृत भाषा में दक्षता
यहां के पंडित संस्कृत में न केवल पारंगत होते हैं, बल्कि अक्सर काव्य, वाद-विवाद और प्रवचन भी करते हैं
5. पूरे भारत में मांग
बनारसी पंडितों की मांग देश-विदेश में होती है—चाहे वह विवाह हो, यज्ञ, कथा, ग्रहशांति, मुंडन या पिंडदान जैसी कोई धार्मिक क्रिया
6. हास्य और तर्कशक्ति
कई बनारसी पंडित अपने व्यंग्य, हाजिरजवाबी और तर्कशक्ति के लिए भी प्रसिद्ध हैं इनकी बातें ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन का भी स्रोत होती हैं
7. काशी की सांस्कृतिक विरासत के रक्षक
पंडितजन न केवल धार्मिक रीति-रिवाजों को निभाते हैं बल्कि संगीत, नाटक, लोककला, और परंपरागत उत्सवों में भी भाग लेकर काशी की संस्कृति को जीवित रखते हैं
और आपको किसी वाराणसी पंडित से संपर्क करना है तो संपर्क सूत्र 9651049488
बनारस में खाने की चीज जो प्रसिद्ध है
बनारस (वाराणसी) न केवल अपने आध्यात्म और संस्कृति के लिए मशहूर है, बल्कि यहाँ का खास बनारसी खाना भी देश-विदेश में लोकप्रिय है। यहां कुछ प्रमुख और प्रसिद्ध व्यंजन दिए गए हैं:
1. कचौड़ी-सब्ज़ी
क्या है: गरमागरम बेडमी कचौड़ी के साथ आलू-टमाटर की मसालेदार सब्ज़ी।
कब खाया जाता है: ज़्यादातर सुबह के नाश्ते में।
क्यों खास: ताजगी, तीखापन और देसी घी की खुशबू इसे अनोखा बनाती है।
2. टमाटर चाट
क्या है: उबले टमाटर, मसाले, आलू, दही और पापड़ी के साथ तैयार अनोखी चाट कहाँ प्रसिद्ध है: दशाश्वमेध और गोदौलिया इलाकों में।
क्यों खास: आम चाट से अलग स्वाद और बनारसी अंदाज़।
3. बनारसी पान
क्या है: चूना, कत्था, सुपारी, गुलकंद और कई मसालों से सजा पान।क्यों खास: बनारस आए और पान न खाया तो क्या खाक बनारस आए प्रसिद्ध जगह: गदौलिया, लंका और दशाश्वमेध रोड।
4. मालइयो (मलइयो)
क्या है: दूध की झाग से बना ठंडा, मीठा और बेहद हल्का मिष्ठान।
कब मिलता है: सर्दियों में सुबह-सुबह
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